बाबा की दया से म्हारे ढोल बज गये (Baba Ki Daya Se Mhare Dhol Baj Gaye)

बाबा की दया से म्हारे ढोल बज गये (Baba Ki Daya Se Mhare Dhol Baj Gaye)

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बाबा की दया से म्हारे ढोल बज गये

बाबा की दया से म्हारे ढोल बज गये,
कोठी बंगले तो अनमोल सजग ||

मेंहदीपुर का स धाम निराला,
किस्मत का यो खोलः र ताला,
घाटे आले बाबा महारे मन रजगे,
कोठी बंगले तो अनमोल सजग,
बाबा की दया ते महारः ढ़ोल बजगे,
कोठी बंगले तो अनमोल सजग ||

बालाजी ने रे मेहर फिराई,
दिल से सवामणी मन्नै लाई,
कुणबे के लोग बुराई तजगे,
कोठी बंगले तो अनमोल सजग,
बाबा की दया ते महारः ढ़ोल बजगे,
कोठी बंगले तो अनमोल सजग ||

पहले मेरा जीवन बड़ा ही अजीब था,
काम करया टुट क पर रहता गरीब था,
माड़ा सा नसीब था कर्म चढ़गे,
कोठी बंगले तो अनमोल सजग,
बाबा की दया ते महारः ढ़ोल बजगे,
कोठी बंगले तो अनमोल सजग ||

श्यामड़ी आले जपै नाम अनमोल है,
बल्लू ठेकेदार रटः ह्रृदय के पट खोल है,
कौशिक जी तो दिल तं भजगे,
कोठी बंगले तो अनमोल सजग,
बाबा की दया ते महारः ढ़ोल बजगे,
कोठी बंगले तो अनमोल सजग ||

बाबा की दया से म्हारे ढोल बज गये,
कोठी बंगले तो अनमोल सजग ||

Kirti Saini

कीर्ति सैनी भजन रस में मिथक के विभाग को लीड कर रही हैं। पत्रकारिता की दुनिया में 6 साल का अनुभव रखने वाली कीर्ति ने आईआईएमसी से हिंदी पत्रकारिता में पीजी प्रवेश किया है। वे अपनी शुरुआती पढ़ाई में पूरी की है।

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