हरियाली तीज: पार्वती और शिव के मिलन की पौराणिक गाथा

हरियाली तीज एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो श्रावण महीने में मनाया जाता है। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक है। सुहागिन महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं और अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं।
हरियाली तीज व्रत कथा में माता पार्वती के 108 जन्मों की कहानी बताई गई है, जिसमें उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। यह कथा स्त्री-पुरुष के प्रेम और समर्पण का प्रतीक है।
हरियाली तीज व्रत कथा में बताया गया है कि किस प्रकार माता पार्वती ने अपने पूर्व जन्मों में भगवान शिव को पाने के लिए कठिन साधना की। यह कथा भक्तों को प्रेरणा देती है और उनके विश्वास को मजबूत करती है।
हरियाली तीज व्रत का महत्व
हरियाली तीज व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह व्रत शिव और पार्वती के प्रेम को समर्पित है और सुहाग की लंबी उम्र के लिए किया जाता है।
इतिहास और पौराणिक कथाएँ
हरियाली तीज की कथा में माता पार्वती और भगवान शिव का विशेष स्थान है। कहा जाता है कि पार्वती ने शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी।
इस दिन पार्वती ने 108 जन्मों के बाद शिव को पति के रूप में पाया था। इसलिए यह त्योहार विवाहित महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
हरियाली तीज सावन महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। यह समय प्रकृति के हरे-भरे होने का प्रतीक है।
व्रत की धार्मिक मान्यताएँ
हरियाली तीज व्रत का पालन करने से सुहाग की लंबी उम्र और पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है। महिलाएँ इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं।
व्रत के दौरान शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन की गई प्रार्थना से मनवांछित वर, संतान और अचल सुहाग की प्राप्ति होती है।
कुँवारी कन्याएँ भी इस व्रत को अच्छे वर की प्राप्ति के लिए करती हैं। यह व्रत पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने में मदद करता है।
हरियाली तीज व्रत विधि
हरियाली तीज व्रत में सुहाग सामग्री और पूजा अनुष्ठान महत्वपूर्ण हैं। इन दोनों पहलुओं को समझना व्रत की सफलता के लिए आवश्यक है।
सुहाग सामग्री का महत्व
सुहाग सामग्री हरियाली तीज व्रत का एक अभिन्न अंग है। इसमें शामिल हैं:
- चूड़ियाँ
- बिंदी
- सिंदूर
- मेहंदी
- नई साड़ी
ये वस्तुएँ सौभाग्य और विवाहित जीवन का प्रतीक हैं। महिलाएँ इन्हें पहनकर अपने पति के लंबे जीवन की कामना करती हैं। हरियाली तीज पर महिलाएँ हरे रंग की साड़ी पहनना पसंद करती हैं, जो प्रकृति और नवजीवन का प्रतीक है।
पूजा अनुष्ठान
हरियाली तीज की पूजा विधि में कई चरण शामिल हैं:
- स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें।
- भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- दीपक जलाएँ और अगरबत्ती लगाएँ।
- फूल, फल और मिठाई चढ़ाएँ।
- व्रत कथा का पाठ करें।
पूजा के बाद, महिलाएँ पूरे दिन उपवास रखती हैं। कुछ केवल पानी पीती हैं, जबकि अन्य फलाहार कर सकती हैं। शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोला जाता है।
हरियाली तीज की कथा
हरियाली तीज एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। यह भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का उत्सव है।
शिव-पार्वती की कथा
हरियाली तीज की पौराणिक कथा बहुत रोचक है। माता पार्वती ने अपने पूर्व जन्म में सती के रूप में जन्म लिया था। सती के देहांत के बाद, उन्होंने हिमालय राज के घर पुनर्जन्म लिया।
बचपन से ही पार्वती ने शिव की आराधना शुरू कर दी। उन्होंने कठोर तपस्या की। 108 जन्मों तक पार्वती ने शिव को पाने के लिए तप किया।
अंत में शिव ने पार्वती की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया। दोनों का विवाह हुआ और यह मिलन हरियाली तीज के रूप में मनाया जाता है।
व्रत कथा का श्रवण
हरियाली तीज व्रत कथा का श्रवण करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं और कथा सुनती हैं।
कथा श्रवण से पति-पत्नी के रिश्ते में मधुरता आती है। यह दांपत्य जीवन को सुखी बनाने में मदद करता है।
व्रत कथा में शिव-पार्वती के प्रेम और समर्पण की कहानी बताई जाती है। इससे महिलाओं को अपने पति के प्रति समर्पण की प्रेरणा मिलती है।
कथा श्रवण से व्रत का महत्व समझ में आता है। यह भक्तों के मन में श्रद्धा और विश्वास जगाता है।