खोल किवाड़ी गणगौर गीत (Khol Kiwadi Gangaur Geet)

खोल किवाड़ी गणगौर गीत (Khol Kiwadi Gangaur Geet)

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खोल किवाड़ी गणगौर गीत
Khol Kiwadi Gangaur Geet

गौरि ए गणगौरी माता ! खोल किवाड़ी ‘

बाहर    उबी    थारी   पुजनवाली |

पूजो ए पूजाओ बाई , काई  – काई  ! मांगों ?

अन्न मांगों , धन मांगों , लाछ मांगों ,  लछमी ||

जलहर  जामी बाबल माँगा रातादेई माई |

कान कुंवर सो बीरों माँगा राई सी भोजाई

ऊंट चढ्यो बहणेंई माँगा चुडला वाली बहणल ||

 गणगौर पूजन का गीत

गौर – गौर गणपति ईसर पूजे पार्वती

पार्वती का आला गीला , गौर का सोना का टिका ,

टिका दे , टमका दे , राजा रानी बरत करे ,

करता करता , आस आयो वास आयो ,

खेरो   खांडो   लाडू  लायो ,

लाडू ले बीरा न दियो ,बीरो म्हाने चुनड  दी

चुनड को में बरत करयो

सन मन सोला , ईसर गोरजा ,

दोनु जौड़ा , जोर ज्वार

रानी पूजे राज में , मैं पूजा सुहाग में ,

रानी को राज घटतो जाई , म्हाखो सुहाग बढतों जाय ,

किडी किडी कीड़ो ल्याय , किडी थारी जात दे ,

जात दे , गुजरात दे , गुजरात्या को पानी

दे दे थम्बा तानी , ताणी का सिघडा, बारी का बुजारा

म्हारो भाई एम्ल्यो खेम्ल्यो ,

सेर सिंघाड़ा ल्यो , पेफ का फूल ल्यो ,

सूरज जी को डोरों ल्यो , सोना को कचोलो ल्यो

गणगौर पूज ल्यो |

Kirti Saini

कीर्ति सैनी भजन रस में मिथक के विभाग को लीड कर रही हैं। पत्रकारिता की दुनिया में 6 साल का अनुभव रखने वाली कीर्ति ने आईआईएमसी से हिंदी पत्रकारिता में पीजी प्रवेश किया है। वे अपनी शुरुआती पढ़ाई में पूरी की है।

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