राम चालीसा लिरिक्स (Ram Chalisa hindi Lyrics)

राम चालीसा लिरिक्स (Ram Chalisa hindi Lyrics)

इस Post में आपको राम चालीसा लिरिक्स (Ram Chalisa hindi Lyrics) का हिंदी में Lyrics दिया जा रहा है और उम्मीद करता हूँ कि राम चालीसा लिरिक्स (Ram Chalisa hindi Lyrics) आपके लिए जरूर उपयोगी साबित होगा | BhajanRas Blog पे आपको सभी देवी देवताओ की आरतिया,चालीसा, व्रत कथा, नए पुराने भजन, प्रसिद्ध भजन और कथाये ,पूजन विधि, उनका महत्व, उनकी व्रत कथाये BhajanRas.com पे आप हिंदी में Lyrics पढ़ सकते हो।

|| श्री राम चालीसा  ॥

श्री रघुवीर भक्त हितकारी | सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ||
निशिदिन ध्यान धरे जो कोई | त सम भक्त और नहिं होई ||

ध्यान धरे शिवजी मन माहीं | ब्रह्म इन्द्र पार नहिं पाही |
दूत तुम्हार वीर हनुमाना | जासु प्रभाव तिहुँ पुर जाना ||

तब भुज दण्ड प्रचण्ड कृपाला | रावण मारि सुरन प्रतिपाला |
तुम अनाथ के नाथ गुसाई | दीनन के हो सदा सहाई ||

ब्रह्मादिक तव पार न पावे | सदा ईश तुम्हरो यश गावैं ||
चारिहु वेद भरत है साखी। तुम भक्तन की लज्जा राखी ||

गुण गावत शारद मन माहीं | सुरपति ताको पार न पाहीं ||
नाम तुम्हार लेत जो कोई | ता सम धन्य और नहिं होई ||

राम नाम है अपरम्पारा | चारिउ वेदन जाहि पुकारा ||
गणपति नाम तुम्हारो लीनो | तिनको प्रथम पूज्य तुम कीनो ||

शेश रटत नित नाम तुम्हारा | महि को भार शीश पर धारा ||
फूल समान रहत सो भारा | पाव न कोऊ तुम्हरो पारा ||

भरत नाम तुम्हरो उर धारो | तासों कबहुं न रण में हारो ||
नाम शत्रुहन हृदय प्रकाशा | सुमिरत होत शत्रु कर नाशा ||

लखन तुम्हारे आज्ञा कारी | सदा करत संतन रखवारी ||
ताते रण जीते नहिं कोई | युद्ध जुरे यमहूं किन होई ||

महालक्ष्मी धर अवतारा | सब विधि करत पाप को छारा ||
सीता राम पुनीता गायो | भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो ||

घट सों प्रकट भई सो आई | जाको देखत चन्द्र लजाई ||
सो तुमरे नित पांव पलोटत | नवो निधि चरणन में लोटत ||

सिद्ध अठारह मंगलकारी | सो तुम पर जावै बलिहारी ||
औरहु जो अनेक प्रभुताई | सो सीतापति तुमहिं बनाई ||

इच्छा ते कोटिन संसारा | रचत न लागत पल की बारा ||
जो तुम्हे चरणन चित लावै | ताकी मुक्ति अवसि हो जावै ||

जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरूपा | नर्गुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा ||
सत्य सत्य जय सत्यव्रत स्वामी | सत्य सनातन अन्तर्यामी ||

सत्य भजन तुम्हरो जो गावे | सो निश्चय चारों फल पावे ||
सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं | तुमने भक्तिहिं सब विधि दीन्हीं ||

सुनहु राम तुम तात हमारे | तुमहिं भरत कुल पूज्य प्रचारे ||
तुमहिं देव कुल देव हमारे | तुम गुरु देव प्राण के प्यारे ||

जो कुछ हो सो तुम ही राजा | जय जय जय प्रभु राखो लाजा ||
राम आत्मा पोषण हारे | जय जय दशरथ राज दुलारे ||

ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरूपा | नमो नमो जय जगपति भूपा ||
धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा | नाम तुम्हार हरत संतापा ||

सत्य शुद्घ देवन मुख गाया | बजी दुन्दुभी शंख बजाया ||
सत्य सत्य तुम सत्य सनातन। तुम ही हो हमरे तन मन धन ||

याको पाठ करे जो कोई | ज्ञान प्रकट ताके उर होई ||
आवागमन मिटै तिहि केरा | सत्य वचन माने शिर मेरा ||

और आस मन में जो होई | मनवांछित फल पावे सोई ||
तीनहुं काल ध्यान जो ल्यावे | तुलसी दल अरु फूल चढ़ावे ||

साग पत्र सो भोग लगावे | सो नर सकल सिद्घता पावे॥
अन्त समय रघुबरपुर जाई | जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥

श्री हरिदास कहै अरु गावे | सो बैकुण्ठ धाम को पावे ||

|| श्री राम चालीसा लिरिक्स ॥ दोहा॥

सात दिवस जो नेम कर, पाठ करे चित लाय |
हरिदास हरि कृपा से, अवसि भक्ति को पाय ||

राम चालीसा जो पढ़े, राम चरण चित लाय |
जो इच्छा मन में करै, सकल सिद्घ हो जाय ||

Kirti Saini

कीर्ति सैनी भजन रस में मिथक के विभाग को लीड कर रही हैं। पत्रकारिता की दुनिया में 6 साल का अनुभव रखने वाली कीर्ति ने आईआईएमसी से हिंदी पत्रकारिता में पीजी प्रवेश किया है। वे अपनी शुरुआती पढ़ाई में पूरी की है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *