Chaitra Navratri Day 7: मां कालरात्रि की पूजा, पढ़ें कथा, आरती और करें मंत्रों का जाप।

Chaitra Navratri Day 7: मां कालरात्रि की पूजा, पढ़ें कथा, आरती और करें मंत्रों का जाप।

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Chaitra Navratri Day 7: मां कालरात्रि की पूजा, पढ़ें कथा, आरती और करें मंत्रों का जाप।

Chaitra Navratri Day 7: नवरात्रि के सातवें दिन मां भगवती के दिन कालरात्रि स्वरूप का पूजन किया जाता है। कहते हैं कि मां कालरात्रि की कृपा से व्यक्ति को रोग, दोष, भय व कष्टों से मुक्ति मिलती है।

नवरात्रि के सातवें दिन: हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व माना गया है और नवरात्रि के सभी 9 दिन बेहद ही खास होते हैं। प्रत्येक दिन मां भगवती के अलग-अलग स्वरूपों का पूजन किया जाता है और आज यानि चैत्र नवरात्रि के सांतवे दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है। कहते हैं कि मां कालरात्रि की पूजा करने से भक्तों के सभी दुख दूर होते हैं। साथ ही मां कालरात्रि की पूजा करने वाले जातक निरोगी रहते हैं और अकाल मृत्यु के भय के सभी छुटकारा मिलता है। इस दिन विधि-विधान से मां कालरात्रि का पूजन करें और अपनों को सप्तमी तिथि के शुभकामना संदेश भेजें। ताकि माता रानी आप पर और आपके अपनों पर सदैव अपनी कृपा बनाए रखें।

मां कालरात्रि कथा

दुर्गा के 9 स्वरूपों में से एक हैं, मां कालरात्रि का रंग कृष्ण वर्ण का है, काले रंग के कारण उनको कालरात्रि कहा गया है. चार भुजाओं वाली मां कालरात्रि दोनों बाएं हाथों में क्रमश: कटार और लोहे का कांटा धारण करती हैं. मां दुर्गा ने असुरों के राजा रक्तबीज का संहार करने के लिए अपने तेज से मां कालरात्रि को उत्पन्न किया था.

मां कालरात्रि पूजन विधि

नवरात्रि के सातवें दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर मां कालरात्रि का स्मरण करें, फिर माता को अक्षत्, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ का नैवेद्य श्रद्धापूर्वक चढ़ाएं. मां कालरात्रि का प्रिय पुष्प रातरानी है, यह फूल उनको जरूर अर्पित करें. इसके बाद मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें तथा अंत में मां कालरात्रि की आरती करें.

मां कालरात्रि के मंत्र

‘ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:.’

मंत्र-

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता.
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा.
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥

मां कालरात्रि की आरती

कालरात्रि जय-जय-महाकाली।
काल के मुह से बचाने वाली॥

दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।
महाचंडी तेरा अवतार॥

पृथ्वी और आकाश पे सारा।
महाकाली है तेरा पसारा॥

खडग खप्पर रखने वाली।
दुष्टों का लहू चखने वाली॥

कलकत्ता स्थान तुम्हारा।
सब जगह देखूं तेरा नजारा॥

सभी देवता सब नर-नारी।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥

रक्तदंता और अन्नपूर्णा।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥

ना कोई चिंता रहे बीमारी।
ना कोई गम ना संकट भारी॥

उस पर कभी कष्ट ना आवें।
महाकाली माँ जिसे बचाबे॥

तू भी भक्त प्रेम से कह।
कालरात्रि माँ तेरी जय॥

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