गिरिराज चालीसा चौपाई और दोहा: महत्व और पाठ। Giriraj Chalisa Chaupai aur Doha।

गिरिराज चालीसा चौपाई और दोहा: महत्व और पाठ। Giriraj Chalisa Chaupai aur Doha।

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गिरिराज चालीसा चौपाई और दोहा: महत्व और पाठ। (Hindi)

गिरिराज चालीसा हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण स्तोत्रों में से एक है, जो भगवान श्रीकृष्ण के प्रिय गिरिराज पर्वत को समर्पित है। इसमें चौपाई और दोहा के माध्यम से भगवान के दिव्य गुणों, उनकी लीलाओं और भक्तों पर उनकी कृपा का वर्णन किया गया है। इस चालीसा का पाठ करने से भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति और शांति प्राप्त होती है। इस लेख में हम गिरिराज चालीसा की चौपाई और दोहा के महत्व और सही उच्चारण के बारे में विस्तार से जानेंगे।

॥ दोहा ॥
बन्दहुँ वीणा वादिनी,धरि गणपति को ध्यान।
महाशक्ति राधा सहित,कृष्ण करौ कल्याण॥

सुमिरन करि सब देवगण,गुरु पितु बारम्बार।
बरनौ श्रीगिरिराज यश,निज मति के अनुसार॥

॥ चौपाई ॥
जय हो जय बंदित गिरिराजा।ब्रज मण्डल के श्री महाराजा॥
विष्णु रूप तुम हो अवतारी।सुन्दरता पै जग बलिहारी॥

स्वर्ण शिखर अति शोभा पामें।सुर मुनि गण दरशन कूं आमें॥
शांत कन्दरा स्वर्ग समाना।जहाँ तपस्वी धरते ध्याना॥

द्रोणगिरि के तुम युवराजा।भक्तन के साधौ हौ काजा॥
मुनि पुलस्त्य जी के मन भाये।जोर विनय कर तुम कूँ लाये॥

मुनिवर संघ जब ब्रज में आये।लखि ब्रजभूमि यहाँ ठहराये॥
विष्णु धाम गौलोक सुहावन।यमुना गोवर्धन वृन्दावन॥

देख देव मन में ललचाये।बास करन बहु रूप बनाये॥
कोउ बानर कोउ मृग के रूपा।कोउ वृक्ष कोउ लता स्वरूपा॥

आनन्द लें गोलोक धाम के।परम उपासक रूप नाम के॥
द्वापर अंत भये अवतारी।कृष्णचन्द्र आनन्द मुरारी॥

महिमा तुम्हरी कृष्ण बखानी।पूजा करिबे की मन ठानी॥
ब्रजवासी सब के लिये बुलाई।गोवर्द्धन पूजा करवाई॥

पूजन कूँ व्यञ्जन बनवाये।ब्रजवासी घर घर ते लाये॥
ग्वाल बाल मिलि पूजा कीनी।सहस भुजा तुमने कर लीनी॥

स्वयं प्रकट हो कृष्ण पूजा में।माँग माँग के भोजन पामें॥
लखि नर नारि मन हरषामें।जै जै जै गिरिवर गुण गामें॥

देवराज मन में रिसियाए।नष्ट करन ब्रज मेघ बुलाए॥
छाँया कर ब्रज लियौ बचाई।एकउ बूँद न नीचे आई॥

सात दिवस भई बरसा भारी।थके मेघ भारी जल धारी॥
कृष्णचन्द्र ने नख पै धारे।नमो नमो ब्रज के रखवारे॥

करि अभिमान थके सुरसाई।क्षमा माँग पुनि अस्तुति गाई॥
त्राहि माम् मैं शरण तिहारी।क्षमा करो प्रभु चूक हमारी॥

बार बार बिनती अति कीनी।सात कोस परिकम्मा दीनी॥
संग सुरभि ऐरावत लाये।हाथ जोड़ कर भेंट गहाये॥

अभय दान पा इन्द्र सिहाये।करि प्रणाम निज लोक सिधाये॥
जो यह कथा सुनैं चित लावें।अन्त समय सुरपति पद पावें॥

गोवर्द्धन है नाम तिहारौ।करते भक्तन कौ निस्तारौ॥
जो नर तुम्हरे दर्शन पावें।तिनके दुःख दूर ह्वै जावें॥

कुण्डन में जो करें आचमन।धन्य धन्य वह मानव जीवन॥
मानसी गंगा में जो न्हावें।सीधे स्वर्ग लोक कूँ जावें॥

दूध चढ़ा जो भोग लगावें।आधि व्याधि तेहि पास न आवें॥
जल फल तुलसी पत्र चढ़ावें।मन वांछित फल निश्चय पावें॥

जो नर देत दूध की धारा।भरौ रहे ताकौ भण्डारा॥
करें जागरण जो नर कोई।दुख दरिद्र भय ताहि न होई॥

‘श्याम’ शिलामय निज जन त्राता।भक्ति मुक्ति सरबस के दाता॥
पुत्र हीन जो तुम कूँ ध्यावें।ताकूँ पुत्र प्राप्ति ह्वै जावें॥

दंडौती परिकम्मा करहीं।ते सहजहि भवसागर तरहीं॥
कलि में तुम सम देव न दूजा।सुर नर मुनि सब करते पूजा॥

॥ दोहा ॥
जो यह चालीसा पढ़ै,सुनै शुद्ध चित्त लाय।
सत्य सत्य यह सत्य है,गिरिवर करै सहाय॥

क्षमा करहुँ अपराध मम,त्राहि माम् गिरिराज।
श्याम बिहारी शरण में,गोवर्द्धन महाराज॥

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Giriraj Chalisa Chaupai aur Doha। (English)

गिरिराज चालीसा चौपाई और दोहा: महत्व और पाठ। Giriraj Chalisa Chaupai aur Doha।

गिरिराज चालीसा चौपाई और दोहा: महत्व और पाठ

॥ Doha ॥
Bandahun Vina Vadini,Dhari Ganapati Ko Dhyana।
Mahashakti Radha Sahita,Krishna Karau Kalyana॥

Sumirana Kari Saba Devagana,Guru Pitu Barambara।
Baranau Shri Giriraja Yasha,Nija Mati Ke Anusara॥

॥ Chaupai ॥
Jaya Ho Jaya Bandita Giriraja।Braja Mandala Ke Shri Maharaja॥
Vishnu Rupa Tuma Ho Avatari।Sundarata Pai Jaga Balihari॥

Svarna Shikhara Ati Shobha Pamein।Sura Muni Gana Darashana Kum Amein॥
Shanta Kandara Svarga Samana।Jahan Tapasvi Dharate Dhyana॥

Dronagiri Ke Tuma Yuvaraja।Bhaktana Ke Sadhau Hau Kaja॥
Muni Pulastya Ji Ke Mana Bhaye।Jora Vinaya Kara Tuma Kum Laye॥

Munivara Sangha Jaba Braja Mein aye।Lakhi Brajabhumi Yahan Thaharaye॥
Vishnu Dhama Gauloka Suhavana।Yamuna Govardhana Vrindavana॥

Dekha Deva Mana Mein Lalachaye।Basa Karana Bahu Rupa Banaye॥
Kou Banara Kou Mriga Ke Rupa।Kou Vriksha Kou Lata Svarupa॥

ananda Lein Goloka Dhama Ke।Parama Upasaka Rupa Nama Ke॥
Dvapara Anta Bhaye Avatari।Krishnachandra ananda Murari॥

Mahima Tumhari Krishna Bakhani।Puja Karibe Ki Mana Thani॥
Brajavasi Saba Ke Liye Bulai।Govarddhana Puja Karavai॥

Pujana Kum Vyanjana Banavaye।Brajavasi Ghara Ghara Te Laye॥
Gvala Bala Mili Puja Kini।Sahasa Bhuja Tumane Kara Lini॥

Svayam Prakata Ho Krishna Puja Mein।Manga Manga Ke Bhojana Pamein॥
Lakhi Nara Nari Mana Harashamein।Jai Jai Jai Girivara Guna Gamein॥

Devaraja Mana Mein Risiyae।Nashta Karana Braja Megha Bulae॥
Chhanya Kara Braja Liyau Bachai।Ekau Bunda Na Niche ai॥

Sata Divasa Bhai Barasa Bhari।Thake Megha Bhari Jala Dhari॥
Krishnachandra Ne Nakha Pai Dhare।Namo Namo Braja Ke Rakhavare॥

Kari Abhimana Thake Surasai।Kshama Manga Puni Astuti Gai॥
Trahi Mam Main Sharana Tihari।Kshama Karo Prabhu Chuka Hamari॥

Bara Bara Binati Ati Kini।Sata Kosa Parikamma Dini॥
Sanga Surabhi Airavata Laye।Hatha Joda Kara Bhenta Gahaye॥

Abhaya Dana Pa Indra Sihaye।Kari Pranama Nija Loka Sidhaye॥
Jo Yaha Katha Sunain Chita Lavein।Anta Samaya Surapati Pada Pavein॥

Govarddhana Hai Nama Tiharau।Karate Bhaktana Kau Nistarau॥
Jo Nara Tumhare Darshana Pavein।Tinake Duhkha Dura Hvai Javein॥

Kundana Mein Jo Karein Achamana।Dhanya Dhanya Vaha Manava Jivana॥
Manasi Ganga Mein Jo Nhave।Sidhe Svarga Loka Kum Javein॥

Dudha Chadha Jo Bhoga Lagavein।adhi Vyadhi Tehi Pasa Na Avein॥
Jala Phala Tulasi Patra Chadhavein।Mana Vanchhita Phala Nishchaya Pavein॥

Jo Nara Deta Dudha Ki Dhara।Bharau Rahe Takau Bhandara॥
Karein Jagarana Jo Nara Koi।Dukha Daridra Bhaya Tahi Na Hoi॥

‘Shyama’ Shilamaya Nija Jana Trata।Bhakti Mukti Sarabasa Ke Data॥
Putra Hin Jo Tuma Kum Dhyavein।Takun Putra Prapti Hvai Javein॥

Dandauti Parikamma Karahin।Te Sahajahi Bhavasagar Tarahin॥
Kali Mein Tuma Sama Deva Na Duja।Sura Nara Muni Saba Karate Puja॥

॥ Doha ॥
Jo Yaha Chalisa Padhai,Sunai Shuddha Chitta Laya।
Satya Satya Yaha Satya Hai,Girivara Karai Sahaya॥

Kshama Karahun Aparadha Mama,Trahi Mam Giriraja।
Shyama Bihari Sharana Mein,Govarddhana Maharaja॥

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